- सफेद मक्खी छोटा सा व तेज उड़ने वाला पीले शरीर और सफेद पंख का कीट होता है। छोटा एवं हल्का होने के कारण ये कीट हवा द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से चला जाता हैं।
- इसके अंडाकार शिशु पत्तों की निचली सतह पर चिपके रहते है और रस चूसते रहते हैं। साथ ही भूरे रंग के शिशु अवस्था पूरी होने के बाद वहीं पर यह प्यूपा में बदल जाते हैं।
- ग्रसित पौधे पीले व तैलीय दिखाई देते हैं। कपास की फसल में प्रति पत्ता सफेद मक्खी के व्यस्क 4-6 के आसपास या इससे अधिक दिखाई दें तो विभिन्न प्रकार के उपाय करके आप सफेद मक्खी का नियंत्रण कर सकते है।
जैविक नियंत्रण
- कपास की फसल में पहला छिडक़ाव नीम आधारित कीटनाशक जैसे निम्बीसीडीन 300 पीपीएम या अचूक 1500 पीपीएम की 1.0 लीटर मात्रा को 150-200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
रासायनिक नियंत्रण
- फसल में 80 ग्राम प्रति एकड़ की दर से फ्लोनिकामिड उलाला नामक दवा का छिडक़ाव करके सफेद मक्खी पर नियंत्रण कर सकते हैं।
- सफेद मक्खी के बच्चों की संख्या प्रति पत्ता 8 से ज्यादा दिखाई दे तो स्पाइरोमेसिफेन (ओबेरोन) 200 मि.ली. या पायरीप्रोक्सीफेन (लेनो) नामक दवा की 400-500 मि.ली. मात्रा को प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करें।
- डाईफेन्थाईयूरान (पोलो) नामक दवा की 200 ग्राम मात्रा को प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें। साथ ही आपको बता दे पोलो दवा के प्रयोग से पहले व प्रयोग करने के बाद खेत में नमी मात्रा भरपूर मात्रा में होनी चाहिए।