भारत एक कृषि प्रधान देश है और भारत की अधिकतर आबादी गांवों में रहती है और आजीविका के लिए मुख्य रूप से खेती एवं इससे संबंधित व्यवसायों पर निर्भर है। प्रायः सीमित संसाधनों से खेती-बाड़ी करने वाले किसानों को विभिन्न प्रकार के कारणों से फसल हानि की स्थिति का सामना करना पड़ता है। इनमें मुख्य और पर मानसून का समय पर न आना, बाढ़, सूखा, तूफान आदि है। इस प्रकार फसल का बर्बाद होना किसानों की आर्थिक बदहाली को और बढ़ावा देता है तथा प्रायः वे कर्ज में भी डूब जाते हैं। “
भारत सरकार द्वारा फसल बर्बाद के जोखिम से किसानों को बचाने के उद्देश्य से वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरु की गई थी । फसल खराब होने की स्थिति में इस योजना के माध्यम से किसानों को एक व्यापक बीमा कवर मिलता है और इस प्रकार इससे किसानों की आय को सतत करने में मदद मिलती है।
योजना के मुख्य उद्देश्य – फसल हानि की स्थिति में किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना | किसानों की आय को बढ़ाना | आधुनिक कृषि को बढ़ावा देना | फसल उत्पादन जोखिम से सुरक्षा |
बीमा दावे का आधार – प्राकृतिक आपदाएं जैसे- तूफान, ओलावृष्टि, चक्रवात, आंधी, समुद्री तूफान, बवंडर, रोग, बाढ़, सूखा, रोग, जलभराव, भूस्खलन, प्राकृतिक अग्नि दुर्घटनाएं तथा आकाशीय बिजली से हानि होने पर | फसल कटने के बाद अधिकतम दो सप्ताह के अंदर चक्रवात, चक्रवातीय वर्षा एवं गैर मौसमी वर्षा के मामले में संबंधित क्षेत्रों के उच्च, मध्यम और जोखिम स्तर पर 70, 80 और 90 प्रतिशत हानि के तीन स्तरों पर सभी फसलों के लिए बीमा भुगतान हेतु प्रावधान किया गया है ।
योजना के लिए जरूरी दस्तावेज – बैंक अकाउंट नंबर, खेत की जमीन या मालिक के कागज की फोटो कॉपी , किसान का पासपोर्ट साइज फोटो, किसान का निवास प्रमाणपत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, आधार नंबर, वोटर आईडी कार्ड आदि |
इस योजना का लाभ उठाने के लिए एक निर्धारित प्रीमियम देना जरुरी होगा। यह प्रीमियम काफी कम होता है। खरीफ की फसल के लिए बीमा राशि का 2 प्रतिशत, रबी के लिए 1.5 प्रतिशत तथा बागवानी फसलों में अधिकतम 5 प्रतिशत तक प्रीमियम देना होगा |
बीमा के दायरे में आने वाली फसलें – खाद्यान्न फसलें (मोटे अनाज और दलहन), तिलहन, वार्षिक वाणिज्यिक / बागवानी फसलें आदि |
इस योजना का फायदा फसल उगाने वाले बटाईदार और काश्तकार सहित सभी किसान ले सकते हैं। इसके लिए किसानों के पास फसल का बीमा समय पर लेने के साथ प्रीमियम राशि का भुगतान करना जरूरी है। बिना कर्ज वाले किसानो को जमीन के जरूरी दस्तावेज भूमि स्वामित्व प्रमाणपत्र (एलपीसी), अधिकार अभिलेख (आरओआर) विवरण संबंधित राज्य सरकार द्वारा दिए गए सभी जरूरी दस्तावेज दिखाने होंगे।
यदि फसल सूखा, आंधी तूफान बारिश, ओले आदि या किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा से बर्बाद हो गई है, तो इसकी सुचना 48 घंटे के अंदर बीमा कंपनी को देनी होगी। उसके बाद कंपनी नुकसान के दावे का आकलन करेगी और फिर बीमा का पैसा किसान के खाते में आ जाएगा।