बैक्टीरियल ब्लाइट
- यह एक जीवाणु जैन्थोमोनस सायमोप्सिडिस के कारण होता है।
- इस रोग का प्रकोप अधिकतर खरीफ मौसम मैं होता है। रोग के धब्बे पत्तियों की सतह पर बन जाते हैं और भूरे रंग के हो जाते हैं। इससे तना काला पड़ जाता है |
- बुआई के लिए प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करे | बुआई के 35-40 दिन बाद स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 5 ग्राम 100 लीटर सिंचाई के साथ प्रति हेक्टेयर छिड़काव करे |
अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट
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- अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट कवक अल्टरनेरिया सायमोप्सिडिस के कारण होता है।
- रोग के लक्षण मुख्यतः पत्तियों पर अनियमित धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं।
- ज़िनेब का 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी में घोलकर 15 दिन के अंतराल पर कम से कम दो बार छिड़काव करे |
एन्थ्रेक्नोज
- यह रोग कोलेटोट्राइकम कैप्सिसी कवक के कारण होता है।
- रोग के लक्षण पत्तियों, डंठलों तथा तने पर काले धब्बों के आकार में दिखाई देते हैं। इस रोग के नियंत्रण के लिए जिनेब 2 किलोग्राम को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए।
पाउडरी मिल्ड्यू
यह रोग एरीसिपे पॉलीगोनी नामक कवक के कारण होता है।
- रोग के लक्षण पत्ती की सतह पर सफेद पाउडर के रूप मैं दिखते हैं |
- रोग को वेटेबल सल्फर जैसे सफ़ेक्स के 2-3 किलोग्राम हेक्टेयर-1 की दर से छिड़काव या सल्फर पाउडर @ 20-25 किलोग्राम हेक्टेयर-1 के छिड़काव या डाइनोकैप @1.5 मिलीलीटर का प्रयोग करे |
दीमक
- दीमक जड़ और तने को खाकर पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं |
- खड़ी फसल में दीमक के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए सिंचाई के साथ क्लोरोफाइरिफॉस @1.25 लीटर/हेक्टेयर का प्रयोग करे |
जैसिड्स, एफिड्स और सफेद मक्खी
- ये छोटे कीट पत्तियों का रस चूसते हैं। संक्रमित पौधों की पत्तियाँ मुड़ जाती हैं और हल्के पीले, सफेद या तांबे रंग की हो जाती हैं।
- ग्वार फली में जैसिड, एफिड और सफेद मक्खी जैसे रस चूसने वाले कीटों को नियंत्रित करने के लिए 0.75 से 1.25 मिलीलीटर एल-1 पानी की दर से मोनोक्रोटोफॉस या मेलाथियान, इमिडाक्लोप्रिड, या डाइमेथोएट का उपयोग कर सकते हैं